मैं चाह कर भी बोल नहीं पा रही आवाज गले से बाहर नही निकल रही । मेंने हिलने की कोशिश की लेकिन..... उफ... मैं चाह कर भी बोल नहीं पा रही आवाज गले से बाहर नही निकल रही । मेंने हिलने की कोश...
उसने एक पेड़ के नीचे थोड़ा आराम किया। वह नहीं जानता था कि यह एक बुरा गाँव था। एक आदमी ह उसने एक पेड़ के नीचे थोड़ा आराम किया। वह नहीं जानता था कि यह एक बुरा गाँव था। एक...
शायद गुड़िया को वहां छोड़कर शिव को साथ ले आए थे... शायद गुड़िया को वहां छोड़कर शिव को साथ ले आए थे...
वास्तव में सोचने वाली बात है, हम कितना ही ऊंच-नीच मान लें, अंत में उसी अग्नि से इस शरीर वास्तव में सोचने वाली बात है, हम कितना ही ऊंच-नीच मान लें, अंत में उसी अग्नि से ...
लेखक: सिर्गेइ पिरिल्यायेव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक: सिर्गेइ पिरिल्यायेव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
" तू काहे रोती है, पगली ! सुहाग की निशानी साथ लेकर जाऊँगी।" " तू काहे रोती है, पगली ! सुहाग की निशानी साथ लेकर जाऊँगी।"